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वॉकहार्ट हॉस्पिटल ने मुंबई सेंट्रल यूनिट में अब तक का पहला स्लीप डिसऑर्डर क्लिनिक किया शुरू 

मुंबई [ अमन न्यूज नेटवर्क ] वॉकहार्ट अस्पताल ने आज मुंबई सेंट्रल शाखा में एक स्लीप डिसऑर्डर क्लिनिक को शुरू किया, जो अच्छी नींद से संबंधित सभी समस्याओं का निपटारा करेगा। नींद का संपूर्ण स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, इसके बावजूद नींद से संबंधित समस्याओं का अक्सर निदान नहीं किया जाता है और सही तरीके से उपचार भी नहीं किया जाता है। हालाँकि हम अपने जीवन का एक तिहाई हिस्सा सोते हुए बिताते हैं, फिर भी आम लोगों में नींद के महत्व के बारे में जागरूकता की कमी होती है। यह क्लिनिक स्लीप एपनिया, अनिद्रा, हाइपरसोमनिया, खर्राटे लेना, पैरासोम्निया आदि समेत नींद से संबंधित सभी प्रकार के विकारों का निवारण करेगा। इस क्लिनिक का प्रबंधन स्नायु विशेषज्ञ, मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक और नींद के तकनीशियनों की एक बहु-आयामी टीम द्वारा किया जायेगा।

फिलिप्स हेल्थकेयर द्वारा 2021 में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 93% भारतीय नींद से वंचित हैं, उन्हें हर रात 8 घंटे से भी कम समय मिलता है। 58% का मानना ​​है कि पर्याप्त नींद की कमी के कारण उनका काम प्रभावित होता है, 11% नींद की कमी के कारण काम से छुट्टी लेते हैं, 11% ने रात को अच्छी नींद ना आने के कारण काम पर सो जाने की बात स्वीकार की और 38% ने किसी सहकर्मी को काम पर सोते हुए देखा है। 15% ने बताया कि काम के तनाव के कारण नींद ख़राब हुई है, परंतु केवल 2% भारतीय ही अपनी नींद की कमी के बारे में किसी चिकित्सक के साथ बात करते हैं।

इस क्लिनिक की शुरुआत के दौरान बोलते हुए, डॉ प्रशांत मखीजा, कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट, वॉकहार्ट हॉस्पिटल, मुंबई सेंट्रल ने कहा, “हर वयस्क व्यक्ति के लिए कम से कम 7-9 घंटे की पर्याप्त नींद लेना आवश्यक होता है। अच्छी नींद को हाल ही में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा हृदय के स्वास्थ्य के एक आयाम के तौर पर शामिल किया गया है। बार-बार नींद के ख़राब होने के परिणामस्वरूप छोटे समय की और साथ ही लंबे समय की स्वास्थ्य जटिलतायें उत्पन्न हो सकती हैं। खर्राटे लेने की आम सी समस्या, जो न केवल बिस्तर पर साथ सोने वाले व्यक्ति के लिए परेशानी बन जाती है, बल्कि संज्ञानात्मक, चयापचय और हृदय के स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण लंबे समय के नकारात्मक प्रभावों के साथ स्लीप एपनिया गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है।

डॉ मलिक मर्चेंट, सलाहकार मनोचिकित्सक, वॉकहार्ट अस्पताल कहते हैं, “ऐसी कई बातें होती हैं जो नींद के ख़राब होने का कारण बनती हैं। जब हम अपने जीवन का एक तिहाई हिस्सा सोते हुए बिताते हैं, परंतु आम लोगों में नींद के महत्व के बारे में जागरूकता की कमी होती है। शारीरिक और भावनात्मक समस्याओं के कारण नींद न आने की समस्या उत्पन्न हो सकती है। नींद और मानसिक स्वास्थ्य का गहरा संबंध होता है और ये एक दूसरे पर निर्भर होते हैं। नींद की कमी पहले से चल रहे अवसाद, चिंता, मिजाज़ बदलने, गुस्से, अकेलेपन आदि को बढ़ा सकती है या खराब कर सकती है। तनाव नींद संबंधी विकारों के प्रमुख कारणों में से एक होता है।

खराब नींद चिकित्सा से संबंधित अंतर्निहित विकार के कारण हो सकती है और इससे स्वास्थ्य पर विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं। भारत में, हमारे पास नींद संबंधी विकारों के निदान और प्रबंधन के लिए एक मानक दृष्टिकोण का अभाव है। इसे ध्यान में रखते हुए, नींद से संबंधित विकारों के प्रबंधन में अनुभव और प्रशिक्षण के साथ विभिन्न उप-विशिष्टताओं के विशेषज्ञों की एक बहु-आयामी टीम का गठन किया गया, जो अच्छी नींद से संबंधित सभी समस्याओं का संपूर्ण समाधान प्रदान करती है।

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